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OSHO Quotes in Hindi

OSHO Quotes in Hindi – 

175 ओशो के अनमोल विचार

नमस्कार, इस article में हम जानेंगे OSHO Quotes in Hindi (ओशो के अनमोल विचार हिन्दी में). हमने इसमें आपके लिए ओशो जी के 175 अनमोल विचारों (175 OSHO Quotes in Hindi) का संग्रह किया है. हमने आपकी सुविशा के लिए बहुत से Hindi Quotes के साथ उनके English Quotes भी दिए हैं. उससे पहले कि आप Quotes को पढना शुरू करें, आप नीचे दी गयी OSHO जी के बारे में जानकारी को जरूर पढ़िए


List of OSHO Quotes in Hindi with English Meanings 

(अंग्रेजी Quotes के साथ दिए गए ओशो के अनमोल विचार हिन्दी में)


Quote No. 1 – ओशो का पहला अनमोल विचार

English Quote: Become more and more innocent, less knowledgeable and more childlike. Take life as fun – because that’s precisely what it is!
Hindi Quote: अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए. जीवन को मजे के रूप में लीजिये – क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है.

Quote No. 2 – ओशो का दूसरा अनमोल विचार

English Quote: Meaning is man-created. And because you constantly look for meaning, you start to feel meaninglessness.
Hindi Quote: अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं . और क्योंकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं , इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं.


Quote No. 3 – ओशो का तीसरा अनमोल विचार


English Quote: Zen people love Buddha so tremendously that they can even play jokes upon him. It is out of great love; they are not afraid.

Hindi Quote: जेन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं. ये अथाह प्रेम कि वजह से है; उनमें डर नहीं है.

Quote No. 4 – ओशो का चौथा अनमोल विचार


English Quote: How can one become enlightened? One can, because one is enlightened – one just has to recognize the fact.
Hindi Quote: कोई प्रबुद्ध कैसे बन सकता है? बन सकता है, क्योंकि वो प्रबुद्ध होता है- उसे बस इस तथ्य को पहचानना होता है.

Quote No. 5 – ओशो का पांचवां अनमोल विचार


English Quote: The day you think you know, your death has happened – because now there will be no wonder and no joy and no surprise. Now you will live a dead life.
Hindi Quote: जिस दिन आप ने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है- क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा, ना कोई आनंद और ना कोई अचरज. अब आप एक मृत जीवन जीएंगे.

Quote No. 6 – ओशो का छठा अनमोल विचार


English Quote: Life is a balance between rest and movement.
Hindi Quote: जीवन ठहराव और गति के बीच का संतुलन है.

Quote No. 7 – ओशो का सातवाँ अनमोल विचार


English Quote: You become that what you think you are.
Hindi Quote: आप वो बन जाते हैं जो आप सोचते हैं कि आप हैं.

Quote No. 8 – ओशो का आठवां अनमोल विचार


English Quote: Life is not a tragedy, it is a comedy. To be alive means to have a sense of humor.
Hindi Quote: जीवन कोई त्रासदी नहीं है; ये एक हास्य है. जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना.


Quote No. 9 – ओशो का नौवां अनमोल विचार


English Quote: Fools laugh at others. Wisdom laughs at itself.
Hindi Quote: मूर्ख दूसरों पर हँसते हैं. बुद्धिमत्ता खुद पर.

Quote No. 10 – ओशो का दसवां अनमोल विचार


English Quote: Only those who are ready to become nobodies are able to love.
Hindi Quote: केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनने के लिए तैयार हैं प्रेम कर सकते हैं.

Quote No. 11 – ओशो का ग्यारहवाँ अनमोल विचार


English Quote: Don’t choose. Accept life as it is in its totality.
Hindi Quote: कोई चुनाव मत करिए. जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है.

Quote No. 12 – ओशो का बारहवां अनमोल विचार


English Quote: You can love as many people as you want – that does not mean one day you will go bankrupt, and you will have to declare, ‘Now I have no love.’ You cannot go bankrupt as far as love is concerned.
Hindi Quote: आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों को प्रेम कर सकते हैं- इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे, “अब मेरे पास प्रेम नहीं है”. जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते.

Quote No. 13 – ओशो का तेरहवां अनमोल विचार


English Quote: There is no need of any competition with anybody. You are yourself, and as you are, you are perfectly good. Accept yourself.
Hindi Quote: किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है. आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं. खुद को स्वीकारिये.

Quote No. 14 – ओशो का चौदहवां अनमोल विचार


English Quote: Happiness is a shadow of harmony; it follows harmony. There is no other way to be happy.
Hindi Quote: प्रसन्नता सद्भाव की छाया है; वो सद्भाव का पीछा करती है. प्रसन्न रहने का कोई और तरीका नहीं है.

Quote No. 15 – ओशो का पन्द्रहवां अनमोल विचार


English Quote: If you can become a mirror you have become a meditator. Meditation is nothing but skill in mirroring. And now, no word moves inside you so there is no distraction.
Hindi Quote: यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं तो आप एक ध्यानी बन सकते हैं. ध्यान दर्पण में देखने की कला है. और अब, आपके अन्दर कोई विचार नहीं चलता इसलिए कोई व्याकुलता नहीं होती.

Quote No. 16 – ओशो का सोलहवां अनमोल विचार


English Quote: Friendship is the purest love. It is the highest form of Love where nothing is asked for, no condition, where one simply enjoys giving.
Hindi Quote: मित्रता शुद्ध तम प्रेम है. ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता , कोई शर्त नहीं होती , जहां बस देने में आनंद आता है.

Quote No. 17 – ओशो का सत्तरहवाँ अनमोल विचार


English Quote: It’s not a question of learning much… On the contrary. It’s a question of unlearning much.
Hindi Quote: सवाल  ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है…इसके उलट , सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है.

Quote No. 18 – ओशो का अठारहवाँ अनमोल विचार


English Quote: When I say that you are gods and goddesses I mean that your possibility is infinite, your potentiality is infinite.
Hindi Quote: जब मैं कहता हूँ कि आप देवी-देवता हैं तो मेरा मतलब होता है कि आप में अनंत संभावनाएं है , आपकी क्षमताएं अनंत हैं.

Quote No. 19 – ओशो का उन्नीसवां अनमोल विचार


English Quote: Zen is the only religion in the world that teaches sudden enlightenment. It says that enlightenment takes no time, it can happen in a single, split second.
Hindi Quote: जेन एकमात्र धर्म है जो एकाएक आत्मज्ञान सीखता है. इसका कहना है कि आत्मज्ञान में समय नह लगता, ये बस कुछ ही क्षणों में हो सकता है.

Quote No. 20 – ओशो का बीसवां अनमोल विचार


English Quote: Don’t move the way fear makes you move. Move the way love makes you move. Move the way joy makes you move.
Hindi Quote: उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये. उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये. उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये.

Quote No. 21 – ओशो का इक्कीसवां अनमोल विचार


English Quote: When love and hate are both absent everything becomes clear and undisguised.
Hindi Quote: जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है.

Quote No. 22 – ओशो का बाईसवाँ अनमोल विचार


English Quote: Enlightenment is the understanding that this is all, that this is perfect, that this is it. Enlightenment is not an achievement, it is an understanding that there is nothing to achieve, nowhere to go.
Hindi Quote: आत्मज्ञान एक समझ है कि यही सब कुछ है, यही बिलकुल सही है , बस  यही है. आत्मज्ञान कोई उपलब्धि नहीं है, यह ये जानना है कि ना कुछ पाना है और ना कहीं जाना है.

Quote No. 23 – ओशो का तेईसवाँ अनमोल विचार


English Quote: Nobody is here to fulfill your dream. Everybody is here to fulfill his own destiny, his own reality.
Hindi Quote: यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है. हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है.

Quote No. 24 – ओशो का चौबीसवाँ अनमोल विचार


English Quote: If you wish to see the truth, then hold no opinion for or against.
Hindi Quote: अगर आप सच देखना चाहते हैं तो ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये.

More Osho Quotes in Hindi 

ओशो के और अनमोल विचार हिन्दी में

1. आपके जैसा इंसान दुनिया में कभी नहीं होगा, दुनिया में अभी आपके जैसा दूसरा इंसान कही नहीं है, और ना ही आपके जैसा कभी भविष्य में कोई होगा.
2. जो इंसान जिंदगी के मज़े ले रहा हो उसे मालिक बनने की कोई चाह नहीं होती है, क्योंकि वह जीवन के असली आनंद के बारे में जानता है, वह जानता है की ख़ुशी कभी खरीदी नहीं जा सकती.
3. जिंदगी कोई मुसीबत नहीं है बल्कि ये तो एक खूबसूरत तोहफा है.
4. प्यार जब सहज, अचानक, बिना अभ्यास किया हुआ, असंस्कृत, और बिना सोचे होता है तभी वह सच्चा कहलाता है.
5. एक महिला विश्व की सबसे सुन्दर कृति है, उसकी किसी से भी तुलना ना करें. भगवान द्वारा की गयी यह एक उत्कृष्ट कृति है.
6. आपके अलावा कोई आपकी परिस्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है. कोई आपको गुस्सा नहीं दिला सकता और कोई आपको खुश भी नहीं कर सकता.
7. मेरे ज्ञान ने मुझे सभी चीज़ों से मुक्ति दिलवाई जिसमें स्वयं ज्ञान भी शामिल है.
8. जिंदगी अपने आप में ही बहुत सुन्दर है, इसीलिए जीवन के महत्व को पूछना ही सबसे बड़ी मूर्खता होंगी.
9. जिस समय आपको आपके प्यार और आपके सच में से किसी एक को चुनना पड़ता है तब आपका सच ही आपके लिए निर्णायक साबित हो सकता है.
10. प्यार तभी सच्चा होता है जब कोई एक दूसरे के व्यक्तिगत मामलों में दखल ना दे. प्यार में दोनों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिये.
11. कुछ करना अहंकार का निर्माण करता है. अहंकार हमारी क्रिया की ही परछाई है. यहाँ एक ही चीज़ है जो हम नहीं करते है और वह है – जागरूकता और सतर्कता.
12. प्रश्न ये नहीं है की क्या मृत्यु के बाद भी जिंदगी रहेंगी. प्रश्न तो ये है की क्या आप मृत्यु से पहले जिंदगी जी सकोगे.
13. ये समाज बीमार है : जिसमें अकेले लोग पीड़ित है. समाज को इलाज की जरूरत है : इसके लिए अकेले इंसान को प्यार करने की जरूरत है. समाज एक मरीज बन चूका है जिसे अस्पताल की जरूरत है.
14. परिणाम पाने के लिए आसानी से आगे बढ़ते रहे, भगवान के आदेश से ही सारे काम संपन्न होते है.
15. प्यार एक पक्षी है जिसे आज़ाद रहना पसंद है. जिसे बढ़ने के लिए पूरे आकाश की जरूरत होती है.
16. ये कोई मायने नहीं रखता है की आप किसे प्यार करते हो, कहा प्यार करते हो, क्यों प्यार करते हो, कब प्यार करते हो और कैसे प्यार करते हो, मायने केवल यही रखता है की आप प्यार करते हो.
17. यदि किसी का ऐसा मानना हो की कही और जाए, तो निश्चित ही वह आपके रास्ते में कभी नहीं आयेगा. लेकिन किस्मत से यदि आप ऐसा मानो तो ये आपके जीवन से कभी नहीं जायेगा.
18. यदि आप तुलना करना छोड़ो तो जिंदगी निश्चित ही बहुत सुन्दर है. यदि आप तुलना करना छोड़ दो तो आपकी जिंदगी खुशियों से भरी होंगी.
19. जब भी आप प्यार की योजना बनाते हो और जब भी आपका ध्यान पूरी तरह से उसमें शामिल हो जाता है तब ये झुटा और पाखंडी बन जाता है.
20. दोस्ती ही सबसे शुद्ध (बड़ा, निर्मल) प्यार है. प्यार करने का ये सबसे ऊँचा स्तर है जहां किसी भी परिस्थिति के लिए किसे से नहीं पूछा जाता, सिर्फ और सिर्फ एक दूसरे को खुशी दी जाती है.
21. एक बार जब मैं यात्रा कर रहा था तभी किसी ने मुझसे पूछा की इंसानी शब्दकोश में सबसे महत्वपूर्ण शब्द कौन सा है. मैंने नम्रता से जवाब दिया, प्यार.
22. ये दुनिया एक खेल है. जहां आज भी जितने वाले हारने के समान है और हारने वाले जितने के समान है, इसी तरह जिंदगी भी एक खेल है. जहां कुछ कहते है की वे नहीं जानते और कुछ जानते है की वे नहीं कहते.
23. बुद्धि कभी भी एक सीमा में रहने से नहीं बढ़ती, बुद्धि तो प्रयोगों से बढ़ती है. बुद्धि हमेशा चुनौतियों को अपनाने से ही बढ़ती है.
24. प्यार एक शराब है. आपने उसका स्वाद लेना चाहिये, उसे पीना चाहिये, उसमें पूरी तरह से डूब जाना चाहिये. तभी आपको पता चल पाएंगे की वह क्या है.
25. जो लोग ये पूछते है की जीवन का क्या महत्व है? असल में ऐसे लोगों ने जीवन को ही खो दिया है. वे सिर्फ अपनी सांस लेने के वजह से ही जिंदा है बाकी अंदर से तो वो कब के मर चुके होते है.
26. प्यार की सर्वश्रेष्ठ सीमा आज़ादी है, पूरी आज़ादी. किसी भी रिश्ते के खत्म होने का मुख्य कारण आज़ादी का न होना ही है.
27. अपने भूतकाल का अनावश्यक बोझ ना रखे. केवल उन्हीं विषयों के नजदीक जाए जिसे आपने पढ़ा हो, ऐसा करने से कभी आपको बार-बार पीछे मुड़ने की जरूरत नहीं होंगी.
28. हमेशा सावधान रहे. अपने अंतःकरण में झांके, आप पाओगे की आप नकारात्मक विचारो से जुड़े हो. और ये नकारात्मक विचार आपका अहंकार ही है.
29. आपका दिल ही आपका सबसे बड़ा शिक्षक है, आपको उसी की सुननी चाहिये. लेकिन जीवन की यात्रा में आपका अंतर्ज्ञान ही आपका शिक्षक होता है.
30. समर्पण तो वह करता है, जो कहता है की मेरे पास तो कुछ भी नहीं है, मैं तो कुछ भी नहीं हूँ – जो दावा कर सकूँ की मुझे मिलना चाहिए. मैं तो सिर्फ प्रार्थना कर सकता हूँ, मैं तो सिर्फ चरणों में सिर रख सकता हूँ, मेरे पास देने को कुछ भी नहीं है.
31. शुद्ध का अर्थ है – प्रमादी. शुद्ध का अर्थ है – सोया हुआ. शुद्ध का अर्थ है – आलस्य, तमस से घिरा हुआ. शुद्ध का अर्थ है – जो कुछ भी नहीं कर रहा है, न बाहर जा रहा है न भीतर जा रहा है, जो प्रमाद में, अंधेरे में सोया रह गया है.
32. कर्म नहीं बांधते, करता बांध लेता है, कर्म नहीं छोड़ता है, करता छुट जाये तो छुटना हो जाता है.
33. सिर्फ आपके पाप ही आपको दुखी कर सकते है. जो आपको अपने आप से दूर ले जाने की कोशिश करते है, ऐसी चीज़ों को अनदेखा करना ही बेहतर होगा.
34. जो विचार के गर्भ धान के विज्ञान को समझ लेता है वह उससे मुक्त होने का मार्ग सहज ही पा जाता है.
35. वह इंसान जो अकेले रहकर भी खुश है असल में वही इंसान कहलाने योग्य है. यदि आपकी ख़ुशी दूसरों पर निर्भर करती है तो आप एक गुलाम हो. अभी आप पूरी तरह से मुक्त नहीं हुए हो अभी आप बंधन (गुलामी) में बंधे हो.
36. एक शराबी बने, जिसमें जीवन के अस्तित्व की शराब को पिए. कभी भी मासूम ना बने, क्योंकि मासूम हमेशा मरे हुए होते है.
37. आत्महत्या आपको कही नहीं ले जाती. साधारणतः यह हमें हमारी चेतना (गर्भाशय) में छोटे रूप (स्तर) में ले जाती है. क्योंकि आत्महत्या से ये साबित होता है की हम बड़े रूप (स्तर) में जीने के काबिल नहीं है.
38. आधे-अधूरे ज्ञान के साथ कभी आगे ना बढे. ऐसा करने पर आपको लगेगा कि आप अज्ञानी हो, और अंत तक अज्ञानी ही बने रहोगे.
39. वह इंसान जो अकेले रहकर भी खुश है असल में वही इंसान कहलाने योग्य है. यदि आपकी ख़ुशी दूसरों पर निर्भर करती है तो आप एक गुलाम हो. अभी आप पूरी तरह से मुक्त नहीं हुए हो अभी आप बंधन (गुलामी) में बंधे हो.
40. वह इंसान जो भरोसा करता है वह जिंदगी में आराम करता है. और वह इंसान जो भरोसा नहीं करता वह परेशान, डरा हुआ और कमजोर रहता है.
41. अनुभूति को दो शब्द देते ही विचार का जन्म हो जाता है. यह प्रतिक्रिया, यह शब्द देने की आदत अनुभूति को,दर्शन को विचार से आच्छादित कर देती है. अनुभूति दब जाती है, दर्शन दब जाता है और शब्द चित्त में तैरते रह जाते है. ये शब्द ही विचार है.
42. मुझे आज्ञाकारी लोगों जैसे अनुयायी नहीं चाहिये. मुझे बुद्धिमान दोस्त चाहिये, जो यात्रा के समय मेरे सहयोगी हो.
43. आपका स्वर्ग और आपकी ख़ुशी हमेशा कही ना खी होती ही है. ये कभी वहाँ नहीं मिलेंगी जहां आप हो. एक सच्ची ख़ुशी हमेशा ‘यहाँ’ होती है, और ‘अभी’ होती है.
44. त्यागी कभी समर्पित नहीं होता, त्यागी आदमी कभी समर्पण नहीं करता वह कहता है की मेरे पास कारण है, मैंने इतना छोड़ा अब मुझे मिलना चाहिए.
45. जीवन का कोई महत्व नहीं है. खुश रहो! फिर भी जीवन का कोई महत्व नहीं होगा. नाचो, गाओ, झूमो! फिर भी जीवन का कोई महत्व नहीं होगा. आपको विचारशील (Serious) बनने की जरूरत है. ये एक बहुत बड़ा मजाक होगा.
46. यदि आप प्यार से रहते हो, प्यार के साथ रहतो हो, तो आप एक महान जिंदगी जी रहे हो, क्योंकि प्यार ही जिंदगी को महान बनाता है.
47. यदि आप खुद अपनी कंपनी का आनंद नहीं लेते हो. तो कोई और उस से आनंदित कैसे हो सकता है?
48. जीवन एक उद्देशहीन खेल है, ये एक अनगिनत सेनाओं का खेल है – जो सुन्दर होगा यदि आपके पास सफल इंसान का दिमाग ना हो तो और बदसूरत होगा यदि आपके पास कुछ बनने की चाह हो तो.
49. जब मैं ये कहता हूँ की तुम ही भगवान हो तुम ही देवी हो तो मेरा मतलब यह होता है की तुम्हारी संभावना अनंत है और तुम्हारी क्षमता भी अनंत है.
50. जब तक आदमी सृजन की कला नहीं जानता तब तक अस्तित्व का अंश नहीं बनता.
51. श्रेष्ठता से सोचने वाला हमेशा तुच्छ कहलाता है, क्योंकि ये एक ही सिक्के के दो पहलू है.
52. आपका विवाह राजनीतिक शासन करने का छोटा रूप है. जिसमें आपके माता और पिता छोटे राजनेता होते है.
53. आपके सारे विश्वास आपका दम घोटते चले जाते है (विकास रोकना) और सारे विश्वास आपको जिंदा भी नहीं रख सकते. आपका विश्वास ही आपके जीवन को मारता है.
54. अपने रिश्ते में हमेशा सुखद रहे, तनहाई में हमेशा सतर्क रहे. ये दोनों बातों आपके लिए हमेशा मददगार साबित होंगी क्योंकि ये बाते एक पक्षी के दो पंखों के समान है.
55. असली सवाल यह है की भीतर तुम क्या हो ? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करोगे, उससे गलत फलित होगा. अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा.
56. अज्ञानी बने रहना अच्छा है, कम से कम अज्ञान तो इसमें आपका होता है. ये प्रामाणिक है, यही सच, वास्तविकता और ईमानदारी है.
57. एक बच्चे को विशाल एकांतता की जरूरत होती है, उसे ज्यादा से ज्यादा एकांतता में रहने देना चाहिये, ताकि वह अपने आप को विकसित कर सके.
58. जिंदगी एक आईना है, जो हमारे ही चेहरे की प्रति कृति दिखाता है. जिंदगी में हमेशा दोस्ती से रहे तब तभी आपके जीवन में मित्रता बनी रहेंगी.
59. अपने जीवन को संगीतपूर्ण बनाओ, ताकि काव्य का जन्म हो सके। और फिर सौदर्य ही सौंदर्य है, और सौदर्य ही परमात्मा का स्वरूप है।
60. संसार सुन्दर है क्योंकि इसे ईश्वर ने बनाया है। जो संसार को गंदा कहता है, वह ईश्वर का तिरस्कार कर रहा है।
61. जीवन क्या है? कुछ नहीं, ठेहराव और गति के बीच का संतुलन।
62. मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है, बल्कि जब वह तैयार होता है तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते है।
63. अगर आप सही में सच देखना चाहते हैं तो आप ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये।
64. बहुत सुन्दर शब्द जो एक मंदिर के दरवाजे़ पर लिखे थे- ‘ठोकरे खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब, वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज निभा ही दिया!’ (ओशो के एक व्याख्यान से)
65. मैं तो दो ही शब्दों पर जोर देता हूं- प्रेम और ध्यान। क्योंकि मेरे लिए अस्तित्व के मंदिर के दो ही विराट दरवाजे हैं। एक का नाम प्रेम, एक का नाम ध्यान। चाहो तो प्रेम से प्रवेश कर जाओ, चाहो तो ध्यान से प्रवेश कर जाओ। शर्त एक ही हैः अहंकार दोनों में छोड़ना होता है।
66. इस संसार में मित्रता शुद्धतम् प्रेम है, मित्रता प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहां कुछ भी मांगा नहीं जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस दिया जाता है।
67. बड़ा सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है…. इसके उलट, सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है।
68. शायद मुझे अब तक सबसे अधिक गलत समझा गया है लेकिन इसका मुझ पर कोई असर नहीं। कारण केवल इतना है कि मुझे सही समझे जाने की जिज्ञासा नहीं। यदि वे सही नहीं समझते तो यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है। यदि वे गलत समझते हैं तो यह मेरी नहीं, उनकी समस्या है, उनका दुख है। मैं अपनी नींद नहीं खराब करूंगा यदि लाखों लोग मुझे गलत समझ रहे हैं।
69. असली सवाल यह है कि भीतर तुम क्या हो? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करोगे, उससे गलत फलित होगा। अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा।
70. जब आप हंस रहे होते हैं, तो ईश्वर की ईबादत कर रहे होते हैं। और जब आप किसी को हँसा रहे होते हैं, तो ईश्वर आपके लिए ईबादत कर रहा होता है।
71. उस तरह मत चलिए जिस तरह डर तुम्हे चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम तुम्हे चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह खुशी तुम्हे चलाये.
72. जिन्दगी में आप जो करना चाहते है, वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये कि लोग क्या कहेंगे। क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते है, जब आप कुछ नहीं करते।
73. सारी शिक्षा व्यर्थ है, सारे उपदेश व्यर्थ है, अगर वे तुम्हें अपने भीतर डूबने की कला नहीं सीखाते।
74. जहां आपको लगता है कि कुछ निंदा हो रही है वहीं आपको रस आता है, रस आता है क्योंकि दूसरा आदमी छोटा किया जा रहा है और उसके छोटे होने से आपको अंदर से अनुभव होता है कि मैं बड़ा हूं।
75. कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले। चाहे वह पूरे जगत को जान ले। लेकिन अगर वह स्वयं को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है।
76. जिंदगी को अगर हमें जिंदा बनाना है, तो बहुत सी जिंदा समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। लेकिन होनी चाहिए और अगर हमें जिंदगी को मुर्दा बनाना है, तो हो सकता है हम सारी समस्याओं को खत्म कर दे, लेकिन तब आदमी मरा-मरा जीता हैं।
77. तुमने पद, धन, यश, कीर्ति, प्रेम इन सबकी चेष्टाएं की, बस एक ध्यान के दीए को जलाने की चेष्टा नहीं की, वही काम आएगा। मृत्यु केवल उसी दीए को नहीं बुझा पाती। बुद्ध कहते हैं, ध्यान अमृत सूत्र है।
78. जब दिल में प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।
79. आपको किसी से किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है आप स्वयं जैसे है बिल्कुल सही है। बस खुद को स्वीकार करना सिखिए।
80. जो व्यक्ति भीतर सत्य को अनुभव करता है, उसका सारा जीवन सौदर्य से, शांति से और संगीत से भर जाता है। उसका सारा जीवन उन प्रतिध्वनियों को, उन तरंगों को प्रवाहित करने लगता है, जो सारे जगत के लिए शांति की और शीतलता की छाया बन सकती है।
81. मैं ‘किसी से’ बेहतर करूं क्या फर्क पड़ता है….! मैं ‘किसी का’ बेहतर करूं बहुत फर्क पड़ता है……!!
82. “पेड़ों को देखो, पक्षियों को देखो, बादलों में देखो, सितारों को देखो … और अगर तुमारे पास आँखें है तो आप यह देखने में सक्षम होगे की पूरा अस्तित्व (“existence “) खुश है सब कुछ बस खुश है पेड़ बिना किसी कारण के खुश हैं वे प्रधानमंत्रियों या राष्ट्रपति बनने के लिए नहीं जा रहे हैं और वे अमीर बनने के लिए नहीं जा रहे हैं और नहीं ही कभी उनके पास बैंक बैलेंस होगा .. फूलों को देखो,- बिना किसी कारण के कितने खुश और अविश्वसनीय है ..”
83. दिल past, और future के बारे में कुछ नहीं जानता है, यह सिर्फ वर्तमान के बारे ही जानता है. दिल का कोई समय concept नहीं है….”
84. “तुम जितने लोगो से प्यार करना चाहते हो आप कर सकते हो – इसका मतलब यह नहीं है की एक दिन आप दिवालिया हो जाओगे , और आप को यह घोषित करना होगा की “अब मेरे पास कोई प्यार नहीं “‘ जहा तक
प्यार का संबंध है आप कभी दिवालिया नहीं हो सकते .”
85. उस रास्ते पर मत चलो जो तुम्हे डर ले जाये, उस रास्ते पर चलो जो तुमे प्यार ले जाये, उस रास्ते पर चलो जिसमे तुम्हे खुसी मिले .
86. “किसी के साथ किसी भी प्रतियोगिता की कोई जरूरत नहीं है. जेसे तुम हो , आप वही हो . और आप पूरी तरह से ठीक हो .. आप अपने आपको स्वीकार करो .”

More Precious OSHO Quotes in Hindi About Everything

  • यदि आप दूसरों का उपकार नहीं कर सकते तो अपकार भी मत करो ।
  • जैसे ही हम मांगते हैं, हमारा हृदय सिकुड़ जाता है और चेतना के द्वार तत्काल बंद हो जाते हैं ।
  • जहां वेदना है, वहीं चेतना सघन हो जाती है और जहां वेदना नहीं है, वहां चेतना विदा हो जाती है ।
  • ईश्वर को हम जितना बाहर ढूंढते हैं उतना ही उससे दूर चले जाते हैं । अगर ठहर जाएं तो वह वहीं मिल जाएगा ।
  • जैसे हिन्दू धर्म में मोक्ष और बौद्ध धर्म में निर्वाण की बात कही गई है, वैसे ही जैन धर्म ने कैवल्य की बात कही है, यानी एकाकीपन । तीनों शब्द खूबसूरत है । ये तीनों शब्द वास्तविकता के तीन अलग पहलू हैं । आप इसे मुक्ति कह सकते हैं या एकाकीपन जो उस अपार अनुभव की प्राप्ति कराते हैं ।
  • ईर्ष्या करने वाले का सबसे बड़ा शत्रु उसकी ईर्ष्या ही है । दूसरे शत्रु उसका अहित करने से रह जाएं, परंतु ईर्ष्या उसे हानि पहुंचाकर ही रहती है ।
  • मेरा ईश्वर एक काव्य है । एक संगीत है । तुम्हें अगर मेरे ईश्वर से परिचित होना है तो प्रकृति के करीब आओ, क्योंकि वह प्रकृति में ही छिपा है, प्रकृति उसका घूंघट है! घूंघट उठाओगे तो तुम मालिक को पाओगे । जहां भी घूंघट उठाओगे उसी को पाओगे ।
  • जीवन एक रहस्य है जिसे जिया जा सकता है, जीकर जाना भी जा सकता , लेकिन गणित के सवालों की भांति उसे हल नहीं किया जा सकता । वह है सयाल नहीं है, एक चुनौती । एक अभियान है ।
  • तुम सत्ता-लोलुप लोगों के हाथों में इतनी अधिक ताकत दे रहे हो । उरपने ही हाथों से अपने गले में फांसी लगाने में तुम उनकी मदद कर रहे हो । यह लोकतंत्र नहीं है ।
  • राह मिलती तो निश्चित है, पर वह बनी-बनाई नहीं मिलती है । उसे स्वयं ही अपने श्रम से बनाना होता है और यह मनुष्य का कितना सम्मान है । यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि सत्य को हम अपने ही श्रम से पाते हैं । ‘श्रमण’ शब्द से महावीर ने यही कहना चाहा है । सत्य श्रम से मिलता है । वह भिक्षा नहीं है सिद्धि है । सत्य अनंत है, इसलिए उसे पाने के लिए अनंत प्रतीक्षा और धैर्य आवश्यक है ।
  • प्रेम में डूबना ही पड़ता है । जो डूबते हैं, वे ही उबरते हैं । प्रेम में, प्रार्थना में, प्रभु में डूबना ही किनारा है । ऐसा समझो कि बचे कि बचे और डूबे कि बचे ।
  • यह सच है कि संघर्ष जीवन-भर चलता रहता है सभी अपनी-अपनी लड़ाई लड़ते भी रहते है किंतु महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि उसकी लड़ाई सही के प्रति हो ।

स्वभाव

  • अहंकार के मार्ग अति सूक्ष्म हैं । ओढ़ी हुई विनम्रता उसकी सूक्ष्मतम गति है । ऐसी विनम्रता उसे ढकती कम- और प्रकट ज्यादा करती है । वह उन वस्त्रों की भांति ही होती है जो शरीर को ढकते नहीं, अपितु उघाडते हैं । वस्तुत: न तो प्रेम को ओढ़कर पूणा मिटाई जा सकती है और न ही विनम्रता के वस्त्रों से अहंकार की नग्नता ही ढकी जा सकती है । राख के नीचे जैसे अंगरे छिपे और सुरक्षित होते हैं और हवा का जरा-सा झोंका ही उन्हें प्रकट कर देता है । ऐसे ही आरोपित व्यक्तित्त्वों में यथार्थ दबा रहता है । एक धीमी-सी खरोंच ही अभिनय को तोड़कर उसे प्रत्यक्ष कर देती है । ऐसी परोक्ष बीमारियां प्रत्यक्ष बीमारियों से ज्यादा ही भयंकर और घातक होती हैं, लेकिन स्वयं को ही धोखा देने में मनुष्य का कौशल बहुत विकसित है और वह उस कौशल का इतना अधिक उपयोग करता है कि वह उसका स्वभाव बन जाता है । हजारों वर्षों से जबरदस्ती सभ्यता लाने के प्रयास में इस कौशल के अतिरिक्त और कुछ भी निर्मित नहीं हुआ है । प्रकृति को मिटाने में तो नहीं, उसे ढकने में मनुष्य जरूर ही सफल हो गया है और इस भांति तथाकथित सभ्यता एक महारोग सिद्ध हुई ।

कर्म

  • पश्चिम ने दूसरे ढंग से कर्म छोड़ने की कोशिश की है और वह यह है कि यदि यंत्र सारे काम कर दें तो आदमी कर्म से मुक्त हो जाए । कर्म से मुक्त हो जाए तो परम आनंद को उपलब्ध हो जाए, लेकिन पश्चिम दूसरी मुश्किल में पड़ गया है और वह मुश्किल यह है कि जितना काम आदमी के हाथ में है उतना आदमी ज्यादा उपद्रव हाथ में लेता चला जा रहा है ।
  • कर्म नहीं बांधते, कर्ता बांध लेता है । कर्म नहीं छोड़ता है । कर्ता छूट जाए तो छटना हो जाता है । २,
  • जो कर्म छोड्‌कर भागता है, उसकी कर्म की ऊर्जा व्यर्थ के कर्मों में सक्रिय हो जाती है ।
  • वह जो कर्म की ऊर्जा है, वह प्रकट होना चाहती है । वह कर्म की ऊर्जा कहीं से प्रकट होगी ही । इसलिए पश्चिम में छुट्‌टी के दिन ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं, ज्यादा चोरियां होती हैं । क्योंकि छुट्‌टी के दिन कर्म की ऊर्जा का क्या करें? अगर एक महीने के लिए पूरी छुट्‌टी दे दी जाए पश्चिम को तो सारी सभ्यता एक महीने में ही नष्ट हो जाएगी और नीचे गिर जाएगी ।
  • कर्म नहीं छोड़ा जा सकता, फिर भी इस देश का संन्यासी हजारों साल से कर्म छोड़ने की असंभव चेष्टा कर रहा है, कर्म नहीं छूटा, सिर्फ निठल्लापन पैदा हुआ है । कर्म नहीं छूटा, सिर्फ ऄनिष्कियताता पैदा हुई है और निष्क्रियता का अर्थ है, व्यर्थ कर्मों का जाल, जिनसे कुछ फलित भी नहीं होता, लेकिन कर्म .जारी रहते हैं । पाखंड उपलब्ध हुआ है । जो कर्म को छोड्‌कर भागता है, उसकी कर्म की ऊर्जा, व्यर्थ के कर्मों में सक्रिय हो जाती है ।

वासना

  • वासना का ज्ञान वासना से मुक्त कर देता है, क्योंकि वासना का लान उसके दुख्राव्रूप को प्रकट कर देता है ।
  • दुख का बोध दुख से मुक्ति है, क्योंकि दुख को जानकर कोई दुख को नहीं चाह सकता और उस क्षण जब कोई चाह नहीं होती और चित्त वासना से विक्षुब्ध नहीं होता है और हम कुछ खोज नहीं रहे होते हैं, उसी क्षण, उस शांत और अकंप क्षण में ही उसका अनुभव होता है जो कि हमारा वास्तविक होना है ।
  • वासना जब नहीं होती है, तब आत्मा प्रकट होती है, इसलिए मित्र! मैं कहूंगा कि आत्मा को मत चाहो, चाह को जानो और उससे मुक्त हो जाएंगे, तो तुम उसे जान लोगे और पा लोगे जो कि आत्मा है ।

युवावस्था

  • जवानी संघर्ष से पैदा होती है । जब संघर्ष बुरे तथा गलत के लिए किया जाता है तब जवानी विकृत हो जाती है और जब संघर्ष सत्य, सुंदर, श्रेष्ठ तथा परमात्मा के लिए होता है तब जवानी सुंदर, स्वस्थ और सत्य होती जाती है । सच यही है कि जीवन में लड़ना आवश्यक है, पर लड़ाई, स्वस्थ और सुंदर के प्रति होना और भी अधिक आवश्यक है । आज युवाओं के दो वर्ग हो गए हैं, एक जो धन तथा भौतिक सुख-साधनों के पीछे पागलों की भांति दौड़ लगा रहा है । इसके लिए जायज नाजायज सभी मार्गों को अपना रहा है । दूसरा वह जो जीवन से निराश, हीनभावना से ग्रस्त तनाव तथा नशे का शिकार हो गया है ।
  • युवक का संबंध शरीर की अवस्था से नहीं है, बूढ़े भी युवा हो सकते हैं । वास्तव में यदि देखा जाए तो युवावस्था का संबंध आयु से नहीं वरन् मनोस्थिति से अधिक है । कभी-कभी हम ऐसे वृद्ध व्यक्तियों को भी देख सकते हैं जो जीवनशक्ति और उत्साह से भरे रहते हैं । मृत्यु की ओर कदम बढ़ाते हुए भी वे जिदंगी का दामन नहीं छोड़ते । इस प्रकार आयु से वृद्ध होते हुए भी वे मनोदशा से युवा बने रहते हैं । वस्तुत आशा, उत्साह और गति मिलाकर ही युवाशक्ति का निर्माण होता है, किंतु जो इन गुणों से हीन हो, वह कैसा युवा? जो मन से जीवंत तथा युवा है वही सच्चे अर्थों में युवा है ।
  • जवानी को कुरूपता से लड़ना होगा, शोषण से लड़ना होगा । बिना लड़ाई जवानी नहीं निखरती । सुंदर के लिए, सत्य के लिए, शिव के लिए जवानी जितनी लड़ती है, उतनी निखरती है । लड़ना और बुराइयों के विरोध में संघर्ष करना ही जवानी है । युवाशक्ति तो उस उर्जा पुंज का नाम है जो समय की तेज धारा को भी बदलनेकी सार्मथ्य रखती है । नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जैसे महान युवक अपनी संकल्पशक्ति के बल पर आज़ाद हिन्द फौज जैसी सेना का निर्माण कर डालते हैं ।’ भगतसिंह, सरोजनी नायडू चंद्रशेखर आजाद, विवेकानंद, सुखदेव आदि-आदि कितने ही उदाहरण है पर अफसोस है कि आजकल के नौजवानों या आधुनिक युवा पीढ़ी का आदर्श फिल्मी सितारे अथवा घोटालों में लिप्त व्यक्ति या नेता होते हैं । भोगवादी संस्कृति के नागपाश में लिपटी युवा पीढ़ी में अदम्य साहस तथा अनंत जिज्ञासा जैसी भावनाओं का सर्वथा अभाव हो तो भला कैसी युवा पीढ़ी और कैसी युवा शक्ति ।
  • इस समय जब संसार को युवा शक्ति की अत्यंत आवश्यकता है । युवाओं से आशा की जाती है कि वे अपनी सोई हुई शक्तियों को जगाएं । निराशा, जड़ता, मूर्ख, स्वार्थ आदि को त्यागकर स्वयं, देश तथा समाज के हितार्थ उठ खड़े हों । युवावस्था में ही समस्याओं से भलीभांति जूझा जा सकता है । वही जवानी है जो संघर्ष करे । तूफानों का सामना करे, जीवन में निरंतर निखार पैदा करे ।
  • आज देश में चारों ओर अभावों और बुराइयों की बेशुमार भीड़ जमा हो गई है, परंतु देश की जवानी तमाशबीन बनकर सब देखती रहती है । ऐसा प्रतीत होता है कि जवानी को लकवा मार गया है । संघर्ष और सही दिशा में संघर्ष ही युवाशक्ति की पहचान है । युवाओं पर समूची सभ्यता के उत्थान का भार होता है । जब युवा पीढ़ी ही मूकदर्शक बनी रहेगी तो जीवन का सारा विकास ही ठहर जाएगा ।
  • देश और समाज की उन्नति के लिए युवक का होना अति आवश्यक है. जो गलत को सहन न करे, पाखंड, अंधविश्वास और बुराइयों के विरोध में उठ खड़ा हो, वही सच्चे मायने में युवा है । इन गुणों से ओत-प्रोत व्यतित बूढ़े होकर भी बूढ़े नहीं होते ।

सौंदर्य

  • वही मनुष्य स्वयं के सौदर्य को देखने में समर्थ होता है जो स्वयं को सौंदर्य दे पाने में भी समर्थ हो पाता है । पहली सामर्थ्य के बिना दूसरी सामर्थ्य कभी पैदा नहीं होती । जो स्वयं की कुरूपता को ढककर विस्मरण करने में लग जाता है स्वयं में रावण को जानता और स्वीकार करना, राम होने की ओर अनिवार्य चरण है । मैं जैसा हूं मुझे स्वयं को सर्वप्रथम वैसा ही जानना होगा और कोई विकल्प नहीं है । यात्रा के इस प्राथमिक बिंदु पर ही यदि असत्य को जगह दी तो अंत में सत्य हाथ नहीं आ सकता । स्वयं के असौंदर्य को सुंदर मुखौटे पहनकर नहीं मिटाया जा सकता । स्वयं के असौंदर्य को सुंदर मुखौटे पहनकर नहीं मिटाया जा सकता । सत्य की खोज तथा स्वयं की वास्तविक सत्ता की खोज में सबसे पहले उरपने ही पहने हुए मुखौटों से लड़ना होता है । स्वयं के वास्तविक चेहरे को खोजे बिना न तो स्वयं का आविष्कार हो सकता है और न ही परिष्कार ।

विचार

  • विचार को इसलिए मैं मरने को नहीं कहता हूं । मैं उसके गर्भाधान को समझने और उससे मुक्त होने को कहता हूं ।
  • अनुभूति को जन्म देते ही विचार का जन्म हो जाता है । यह प्रतिक्रिया, यह शब्द देने की आदत, अनुभूति को दशर्न को विचार से आच्छादित कर देती है । अनुभूति दब जाती है, दर्शन दब जाता है और शब्द चित्त में तैरते रह जाते हैं । ये शब्द ही विचार हैं ।
  • एक-एक विचार तो अपने आप मर जाता है, पर विचार प्रवाह नहीं मरता है । एक विचार मर भी नहीं पाता है कि दूसरा उसका स्थान ले लेता है । यह स्थान पूर्ति बहुत त्वरित है । यही समस्या है । विचार की मृत्यु नहीं, उसकी त्वरित उत्पत्ति, वास्तविक समस्या है ।
  • जो विचार के गर्भाधान के विज्ञान को समझ लेता है वह उससे मुक्त होने का मार्ग सहज ही पा लेता है ।
  • विचार और ध्यान बिल्कुल विपरीत दिशाएं हैं, एक बर्हिगामी है, एक अंतमुर्खी है । विचार ‘पर’ को जानने को मार्ग है, ध्यान ‘रच’ को जानने का । साधारणत: विचार को ही ध्यान समझ लिया गया है । यह भूल बहुत गहरी और बड़ी है ।

समर्पण

  • समर्पण तो वह करता है, जो कहता है कि मेरे पास तो कुछ भी नहीं है , मैं तो कछ भी नहीं हूं जो दावा कर सकूं कि मुझे मिलना चाहिए । मैं तो सिर्फ प्रार्थना कर सकता हूं मैं तो सिर्फ चरणों में सिर रख सकता हूं । मेरे पास देने को कुछ नहीं है ।
  • समर्पण वह करता है, जिसके ख्याल में यह आ जाता है कि ‘मैं पूर्ण असहाय हूं टोटली हेल्पलेस हूं । मेरे पास कुछ भी नहीं हूं परमात्मा को देने को । मैं रो सकता हूं चिल्ला सकता हूं पुकार सकता हूं परंतु दे तो कुछ भी नहीं सकता । जो इतना दीन, इतना दरिद्र, इतना असहाय, इतना बेसहारा होकर पुकारता है, वह समर्पित हो जाता है, वह साक्षात्कार को उपलब्ध हो जाता है ।

शिक्षा

  • मैं शिक्षा को पांच आयामों में बांटता हूं ।
  • पहला आयाम है सूचनात्मक जैसे इतिहास, भूगोल और इस तरह के बहुत-से विषय, लेकिन इतिहास के पन्ने केवल उन लोगों से भरे हुए होने चाहिए जिन्होंने इस ग्रह के सौंदर्य को बढ़ाने में योगदान दिया है, गौतम बुद्ध, सुकरात, रविन्द्रनाथ टैगोर, मैक्सिम गोर्की, लियो टालस्टाय आदि ।
  • दूसरा आवाम वैज्ञानिक विषयों की खोज । यह अत्यत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वास्तविकता का आधा अंग है, बाह्य वास्तविकता का ।
  • तीसरा आयाम जिसकी आज की शिक्षा में कमी है, जीने की कला, प्रेम, हंसी, जीवन के आश्चर्य औरउरौर रहस्यों से परिचय, वृक्षों पर चहकते हुए पक्षियों का संगीत अनसुना न रह जाए ।
  • चौथा आयाम होना चाहिए, कला और सृजनात्मकता, चित्रकला, संगीत, कविता, हस्तकला, पत्थर तोड़ने का काम, जो भी सृजनात्मक है वह सभी आयाम ।
  • पांचवां आयाम होना चाहिए, मरने की कला, इस पांचवें आयाम में ध्यान की (सब विधियां होंगी ताकि तुम जान सको कि मृत्यु होती ही नहीं, ताकि तुम अपने भीतर के शाश्वत जीवन से परिचत हो जाओ ।
  • चंगेज खां, तैमूर लंग, हिटलर आदि हमारा इतिहास नहीं दुःस्वप्न हैं । हमारे बच्चों के भीतर कूरता के ऐसे ख्यालात नहीं डाले जाने चाहिए ।
  • संसार में प्रत्येक व्यक्ति को दो भाषाएं तो सीखनी ही चाहिए, एक उसकी मातृभाषा और दूसरी अंग्रेजी जो कि अंतर्राष्ट्रीय आदान प्रदान की भाषा है.

इंद्रियों पर वश

  • मूढ़ हैं वे, जो इंद्रियों को दबाते, दमन करते हैं और परिणामत: जिनके भीतर जिनका चित्त उन्हीं वासनाओं में परिभ्रमण करता है, तूफान लेता है, अधिया बन जाता है ऐसे व्यक्ति दंभ को, पाखंड को पतित हो जाते हैं ।
  • इंद्रियों की अपनी कोई इच्छा नहीं है । कोई इंद्रिय मनुष्य को किसी काम में नहीं ले जाती, मन ले जाता है ।

गीता

  • गीता एक अर्थ में अद्‌भुत ग्रंथ है । न कुरान इस अर्थ में अदूभुत है न बाइबिल इस अर्थ में अद्भुत है, न महावीर के वचन, न बुद्ध के वचन इस अर्थ में अनुभूत हैं । किसी और अर्थ में वे सारी चीजें अद्‌भुत हैं, लेकिन गीता एक विशेष अर्थ में अद्‌भुत है कि उसमें सब तरह के व्यक्तियों .के मार्गों की चर्चा हो गई है, उसमें सब तरह की संभावनाओं पर चर्चा हो गई है, क्योंकि अर्जन से कृष्ण ने सभी तरह की संभावनाओं की बात की । एक-एक संभावना बेकार होती गई और वे दूसरी संभावनाओं पर बात करते चले गए ।

जीवन

  • जीवन को एक मंदिर बनाना है तो जीवन को एक संश्लेषण की दृष्टि से देखने की क्षमता पैदा करनी होती है, विश्लेषण की दृष्टि से नहीं ।
  • जो जीवन को नहीं जानता वही कहता है, व्यर्थ है, वही कहता है असार है और मैं जीवन को जानकर कहता हूं कि सारभूत है, जो कुछ है सब जीवन में है ।
  • परमात्मा जीवन में है और मोक्ष भी, लेकिन पूरे जीवन को जो जानते हैं वे ही केवल इस सत्य का अनुभव कर पाते हैं ।’
  • जीवन आज और अभी है । उसे कभी अतीत या भविष्य में न देखें। जिसने जीवन को अतीत या भविष्य में देखा उसने जीवन को जाना ही नहीं । हमेशा ध्यान रखें कि जो सामने है वही सच है । इसके बाद जो कुछ भी है वह सिर्फ संभावना है ।

ध्यान

  • ध्यान सिर्फ एक वाहन है । बहिर्मुखी व्यक्ति अगर ध्यान में उतरे तो वह ब्रह्म की यात्रा पर, कास्मिक जर्नी पर निकल जाएगा, जहां सारा अखंड जगत उसे अपना ही स्वरूप मालूम होने लगेगा । अगर अंतर्मुखी व्यक्ति ध्यान के वाहन पर सवार हो तो अंतर यात्रा पर निकल जाएगा, शून्य में और महाशून्य में जहां सब बबूले फूटकर मिट जाते हैं और महासागर अस्तित्व का, शून्य का ही शेष रह जाता है ।

संन्यास

  • प्रकाश के आगमन पर अंधेरा चला जाता है । ऐसे ही ज्ञान के आगमन पर जीवन में जो भी कलुषित है, वह बह जाता है और तब जो शेष रह जाता है वह संन्यास है ।
  • संन्यास का अर्थ है, यह बोध कि मैं शरीर ही नहीं हूं आत्मा हूं । इस बोध के साथ ही भीतर आसक्ति और मोह नहीं रह जाता है ।

योग

  • योग कोई धर्म नहीं है, यह बात स्मरण रहे । योग हिन्दू नहीं, मुसलमान नहीं, ईसाई नहीं । योग तो एक विशुद्ध विज्ञान है गणित, फिजिक्स या कैमेस्ट्री की तरह । यह तो एक विशुद्ध गणित हुआ तरिक अस्तित्व का । इसलिए एक मुसलमान भी योगी हो सकता है, ईसाई भी योगी हो सकता है । इसी तरह एक जैन, एक बौद्ध भी योगी हो सकता है ।

मौन

  • मौन का अर्थ है निःशब्द होना । शब्द मन की खुराक है । वह तो शब्दों को पीने को कहेगा, लेकिन मेरी बात सुनो तो शून्य को, मौन को पकड़ना और पीना । आत्मसात कर लेना चुप्पी को ।
  • मौन में और करुणा में विरोध नहीं है । मौन से करुणा पैदा होती है और करुणावान व्यक्ति धीरे-धीरे मौन होता चला जाता है ।
  • साधारण आदमी वासना से बोलता है, बुद्ध पुरुष करुणा से बोलते हैं । साधारण आदमी इसलिए बोलता है कि बोलने से शायद कुछ मिल जाए, जबकि बुद्ध पुरुष इसलिए बोलते हैं कि तुम भी साझीदार हो जाओ उनके परम अनुभव में ।
  • जब वाणी थका दे, जब बोलना ज्यादा बोझ बन जाए, तो मौन से उतरना ऐसे ही है, जैसे दिन-भर का थका हुआ आदमी रात को सो जाता है ।
  • समझो! चुप रहने का नाम मौन नहीं है । चुप तो आदमी हजारों कारणों से रह जाता है । जब तक मन है मौन नहीं । मन की मृत्यु का नाम मौन है । भीतर विचार न चलें, तरंगे न उठें, तो मौन है ।
  • बोलने, न बोलने से मौन का कोई वारता नहीं है । मौन का वास्ता तो है, निर्विचार दशा से और वह अंतर्दशा बोलने से भी भंग नहीं होती ।
  • जिसने सुनना सीख लिया, जिसे श्रवण की कला आ गई, उसे तत्क्षण समझ में उगना शुरू हो जाएगा, कहां मिलती है उपशांति ।
  • जब ध्यान बोलता है, जब ध्यान की वीणा पर संगीत उठता है, जब मौन मुखर होता है, तब शास्त्र निर्मित होते हैं ।
  • मौन में और करुणा में विरोध नहीं है । मौन से करुणा पैदा होती है और करुणावान व्यक्ति धीरे-धीरे मौन होता चला जाता है ।

राष्ट्र

  • भारत में सत्य की एक परिभाषा है, जो तीनों काल में टिके त्रिकाल अबाधित, जिसका कभी भी खंडन न हो, जो पहले भी था, अभी भी है और फिर भी होगा, जो शाश्वत है, वही सत्य है । जो कल नहीं था, आज है और कल फिर नहीं हो जाएगा, उसे भारत असत्य कहता है ।

संस्कृति

  • मैं शक्ति और शांति को अखंडित रूप में देखना चाहता हूं । मैं विज्ञान और धर्म में सम्मिलित होना चाहता हूं । इससे पूर्ण मनुष्य का जन्म होगा और एक पूर्ण संस्कृति का भी । मनुष्य न तो मात्र शरीर ही है, न मात्र आत्मा ही । वह दोनों का सम्मिलन है । इसलिए उसका जीवन किसी एक पर ही आधारित हो तो अधूरा हो जाता है ।

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